19 फरवरी 2016
प्रिय आलोक ,
जानती हूँ नाराज़ हो । होना भी चाहिए , तुम्हें पूरा हक़ है । इस बार तो कारण भी है , बिना बताये इतनी दूर जो आगयी हूँ। पर क्या करती ? मज़बूरी थी ।
माना अन्याय किया है तुम्हारे साथ पर मेरा विश्वास करो , ऐसा नहीं चाहती थी मैं। तुम्हारे साथ सारी उम्र गुज़ार देना चाहती थी । हर पल , हर लम्हे में बस तुम्हारा साथ ही चाहिए था । यह पत्र लिखना मेरी ज़िन्दगी का सबसे कठिन पल था । जानते हो क्यों ? क्योंकि तुम्हें अलविदा कह रही हूँ । मुझे अंदेशा था की अब शायद जीवित वापस ना आ पाऊं इसलिए वो सब जो शायद तुम्हारे सामने नहीं कह पाती , लिख रही हूँ।
जब आखिरी बार फ़ोन पर बात हुई तो तुम नहीं जानते कितना सुकून मिला था मुझे । एक तसल्ली थी की चैन से जा सकती हूँ अब । समझती हूँ तुम्हारे दर्द को , जानती हूँ घाव गहरा है । कितना अजीब है ना , मैं जो तुम्हारे दर्द का मरहम थी, वही तुम्हें ज़िन्दगी का सबसे बड़ा दर्द दे रही हूँ । पर क्या करूँ , तुम्हारी पत्नी होने के साथ साथ मैं एक सिपाही भी हूँ जिसने देश सेवा का प्रण लिया है । जंग में जाने से सिर्फ़ तुम्हारा प्यार ही मुझे रोक रहा है पर प्यार का दूसरा नाम ही त्याग है ।
अब जब की तुम्हें यह पत्र मिल गया है , इसका यही मतलब है कि मैं नहीं रही । और तुम किसी कोने में बैठ कर भगवान को कोस रहे होगे या अपनी किस्मत को ।
पर आलोक , अब इन सब से क्या फ़ायदा ? मैं तो जा चुकी हूँ । इतनी दूर , जहां से मैं चाहकर भी नहीं वापस आ सकती । पर तुम क्यों खुद को तिल तिल मार रहे हो । सिर्फ़ मेरे जाने से ज़िन्दगी ख़तम नहीं हुई । माना तुम्हें गहरा आघात लगा है पर मरहम तो हर दर्द का है । मेरी यादें तुम्हारे साथ हमेशा रहेंगी पर मैं यह कभी नहीं चाहूंगी कि तुम इनमें पल पल घुटो । मेरा प्यार हमेशा तुम्हारी ताक़त रहा है , अब इसे ऐसी कमज़ोरी ना बनाओ , की तुम जी भी ना पाओ ।
तुम्हें फिर उठाना होगा , चलना होगा ज़िन्दगी के साथ । यूं पीछे नहीं छूट सकते तुम । मेरी हिम्मत हमेशा से तुम ही थे और अब तुम हार नहीं मान सकते । वो सब कुछ करो जो मेरे साथ होने पर करते । अपने सपने , हमारे सपने , माँ बाउजी के सपने , अभी तो कितना कुछ करना है तुम्हें ।
काश यह कह पाती की बाकी बातें अगले पत्र में करुँगी पर शायद यह मौका अब ना मिले । मुझसे इतना प्यार करने के लिए शुक्रिया । इस छोटी ही सही पर , पर खुशहाल ज़िन्दगी में इतना प्यार और सम्मान क लिए धन्यवाद । शब्द नहीं हैं मेरे पास यह बताने को कि कितने मायने थे मेरी ज़िन्दगी में तुम्हारे ।
आखिर में , यही कहना चाहती हूँ कि अपने दिल में प्यार के लिए दरवाज़े कभी बंद मत करना । फिर से इसे धड़कने की इज़ाज़त देना । मेरे कारण , किसी और को तुमसे प्यार करने से रोकना मत और ना ही खुद रुकना । जानती हूँ आसन नहीं है पर विश्वास करो , इतना मुश्किल भी नहीं । अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ना । जब कभी पीछे मुड़कर देखोगे , मेरा प्यार हमेशा तुम्हारे साथ होगा ।
माना अन्याय किया है तुम्हारे साथ पर मेरा विश्वास करो , ऐसा नहीं चाहती थी मैं। तुम्हारे साथ सारी उम्र गुज़ार देना चाहती थी । हर पल , हर लम्हे में बस तुम्हारा साथ ही चाहिए था । यह पत्र लिखना मेरी ज़िन्दगी का सबसे कठिन पल था । जानते हो क्यों ? क्योंकि तुम्हें अलविदा कह रही हूँ । मुझे अंदेशा था की अब शायद जीवित वापस ना आ पाऊं इसलिए वो सब जो शायद तुम्हारे सामने नहीं कह पाती , लिख रही हूँ।
जब आखिरी बार फ़ोन पर बात हुई तो तुम नहीं जानते कितना सुकून मिला था मुझे । एक तसल्ली थी की चैन से जा सकती हूँ अब । समझती हूँ तुम्हारे दर्द को , जानती हूँ घाव गहरा है । कितना अजीब है ना , मैं जो तुम्हारे दर्द का मरहम थी, वही तुम्हें ज़िन्दगी का सबसे बड़ा दर्द दे रही हूँ । पर क्या करूँ , तुम्हारी पत्नी होने के साथ साथ मैं एक सिपाही भी हूँ जिसने देश सेवा का प्रण लिया है । जंग में जाने से सिर्फ़ तुम्हारा प्यार ही मुझे रोक रहा है पर प्यार का दूसरा नाम ही त्याग है ।
अब जब की तुम्हें यह पत्र मिल गया है , इसका यही मतलब है कि मैं नहीं रही । और तुम किसी कोने में बैठ कर भगवान को कोस रहे होगे या अपनी किस्मत को ।
पर आलोक , अब इन सब से क्या फ़ायदा ? मैं तो जा चुकी हूँ । इतनी दूर , जहां से मैं चाहकर भी नहीं वापस आ सकती । पर तुम क्यों खुद को तिल तिल मार रहे हो । सिर्फ़ मेरे जाने से ज़िन्दगी ख़तम नहीं हुई । माना तुम्हें गहरा आघात लगा है पर मरहम तो हर दर्द का है । मेरी यादें तुम्हारे साथ हमेशा रहेंगी पर मैं यह कभी नहीं चाहूंगी कि तुम इनमें पल पल घुटो । मेरा प्यार हमेशा तुम्हारी ताक़त रहा है , अब इसे ऐसी कमज़ोरी ना बनाओ , की तुम जी भी ना पाओ ।
तुम्हें फिर उठाना होगा , चलना होगा ज़िन्दगी के साथ । यूं पीछे नहीं छूट सकते तुम । मेरी हिम्मत हमेशा से तुम ही थे और अब तुम हार नहीं मान सकते । वो सब कुछ करो जो मेरे साथ होने पर करते । अपने सपने , हमारे सपने , माँ बाउजी के सपने , अभी तो कितना कुछ करना है तुम्हें ।
काश यह कह पाती की बाकी बातें अगले पत्र में करुँगी पर शायद यह मौका अब ना मिले । मुझसे इतना प्यार करने के लिए शुक्रिया । इस छोटी ही सही पर , पर खुशहाल ज़िन्दगी में इतना प्यार और सम्मान क लिए धन्यवाद । शब्द नहीं हैं मेरे पास यह बताने को कि कितने मायने थे मेरी ज़िन्दगी में तुम्हारे ।
आखिर में , यही कहना चाहती हूँ कि अपने दिल में प्यार के लिए दरवाज़े कभी बंद मत करना । फिर से इसे धड़कने की इज़ाज़त देना । मेरे कारण , किसी और को तुमसे प्यार करने से रोकना मत और ना ही खुद रुकना । जानती हूँ आसन नहीं है पर विश्वास करो , इतना मुश्किल भी नहीं । अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ना । जब कभी पीछे मुड़कर देखोगे , मेरा प्यार हमेशा तुम्हारे साथ होगा ।
तुम्हारी आशिमा
~कंचन
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